Friday 6 May 2011

my big dream

मेरा सपना,
मेरा घर मेरे बच्चे और पति, और कुछ नहीं,
और कुछ हो भी क्यूँ , मेरी दुनिया है ये,
इस दुनिया में सब कुछ समाया हुआ है,
बाहर कुछ भी  दूर दूर तक कुछ नज़र नहीं आता,
और आता भी क्यूँ , मेरी रौशनी है ये
बाहर सिर्फ अंधकार ही अंधकार है,
क्या इस दुनिया के बाहर भी कुछ है?
 क्या इस प्रकाश के बाहर भी कुछ है?

कुछ पता नहीं?
मैं कहाँ जा रही हूँ ? कुछ पता नहीं
ये सपना कब पूरा होगा
कुछ पता नहीं










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